Thursday, May 23, 2019

मोदी के विजय के मायने


मोदी असाधारण बहुमत के साथ विजयी हुए हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में इतने अधिक मत पानेवाले वो एकमात्र नेता हैं। इसलिए यह विजय ऐतिहासिक हैं।

मोदीजी के लिए काम करनेवाले, उनके प्रशंसक ऐसे अनेक लोगोंको मैं मिला हूँ और मुझे आश्चर्य होता हैं की एक नेता के प्रति इतनी आत्यन्तिक वफ़ादारी, स्नेह आदरभाव कहाँ से उत्पन्न होता होगा? ऐसे ही लोग उन्हें भक्त नही कहते। ऐसे करोड़ों भक्तों ने अपने चहेते भगवान को राजसिंहासन पर पुनः स्थापित किया हैं।

हमारे योगक्षेत्रम के पास काम करनेवाले किसान ख़ुश हैं की उनके बैंक अकाउंट में विकास निधि, अनुदान इ. आ रहा हैं। मध्यम वर्ग ख़ुश हैं की रास्ते अच्छे बन रहे हैं, infrastructure बेहतर हो रहा हैं। वो भारत को अधिक सुरक्षित मानने लगे हैं। बूढ़े, जवान, बच्चे, महिलाएँ, किसान, कमज़ोर तबके के लोग सब लोगों ने मोदी के प्रथम कार्यकाल में कुछ न कुछ अच्छा बदलाव अनुभव किया हैं। अपने अनुभव से ये लोग मोदी समर्थक बने हैं।

मोदी जी का करिश्मा एवं अथक परिश्रम, लोगों के साथ प्रत्यक्ष संवाद स्थापित करने की उनकी शैली, अमित शाह का प्रिसिज़न, प्रदेश के मुख्यमंत्रियों का गुड गवर्नन्स में योगदान, पार्टी एवं सामान्य कार्यकर्ताओं का समर्पण, संघ परिवार का निष्काम भाव से सहयोग, अद्भुत मीडिया और सोशल मीडिया मैनज्मेंट आदि कारणोंसे यह जीत सम्भव हुयी हैं।



लेकिन क्या इस विजय के साथ सभी प्रश्नों पर पूर्णविराम लगता हैं?

मोदी जब सर्वमान्य नेता के रूप में उभरते हैं तो इस विजय के मायने बदलते हैं। किसी संकीर्ण विचारधारा का पथ छोड़कर भारत के वैभवशाली विरासत के वाहक के रूप में वह प्रस्तुत होते हैं।

राजसत्ता और धर्मसत्ता इन दोनों सत्ताओं को हमारे संस्कृति में बड़ी मान्यता हैं। आज के विश्व में हर भारतीय परम्परा का अनुसरण करने की होड़ लगी हैं। विश्व में योग, आयुर्वेद इत्यादि के माध्यम से भारत के प्रति विलक्षण आकर्षण हैं। धर्म की इन्ही विशेषताओं को कम आँकनेवाली राजसत्ता भारत में ज़्यादा दिनोंतक सत्ता में रह चुकी हैं। मोदी के धर्माचरण से सदियों बाद भारत में भारतीय सत्ता स्थापित हैं।

धर्मविरोधी सत्ताओं ने धर्म की सत्ता को खोखला करने का काम बड़ी निष्ठा से बख़ूबी निभाया हैं। पूजनीय शंकराचार्यों के आधिपत्य को कमज़ोर करना, धर्मस्थानों पर शासन का अंकुश रखना, साधु बैरागियों को प्रताड़ित करना, अखाड़ों में विवाद उत्पन्न करवाना, धर्मावलम्बियों को हतोत्साहित करना ऐसे कार्य अजेंडा के तहत किए गए। इन वजहों से भारतीय धर्म की रीढ़ ही कमज़ोर हुयी।
बिलकुल यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवती भारत जैसी अवस्था उत्पन्न हुयी।

ऐसे समय धर्मसंस्थाओं में प्राण फूँकने की ज़रूरत थी जों मोदी जी ने ज़िम्मेदारी के साथ किया हैं। योग को विदेश की विधा के रूप में प्रस्तुत करने का षड्यन्त्र मोदी जी ने विश्व योग दिवस को मान्यता दिलवाने के साथ ध्वस्त किया हैं।

विदेशियों ने भारतीय धर्म क़ब्ज़ाने के कई हथखंडे अपनाए हैं। उनमे से एक मुख्य हैं उनके अजेंडा को चलाने वाले धर्मगुरुओं को स्थापित करना, प्रसिद्ध करना और उनके माध्यम से हिंदुओं में गलतफहमियाँ फैलाना। रामपाल, रामरहिम, राधे माँ, निरंकारी जैसे अनेक पाखंडियों को विदेशियों ने बढ़ावा दिया और तत्कालीन राजसत्ताओं ने उन्हें आश्रय दिया। इन्ही के माध्यम से वेद और ब्राह्मण को बदनाम करना, कबीर मत को तोड़ मरोड़ कर पेश करना ऐसे काम किए गए। मंदिर, पुजारी को बदनाम करना, अन्य धर्मों को प्रोत्साहित करना, उनके धर्मगुरुओं को बहुत सम्मान देना इ. जानबूझकर किया गया। झकिर नाईक, क्रिस्चन धर्मगुरु इसके उदाहरण हैं।

मोदी की विजय के साथ धर्मसत्ता को प्रबल बनाना मुख्य लक्ष होना चाहिए। शास्त्रसम्मत धर्म को पुनः तेज़स्वी बनाना हैं। यह आक्रामक धर्म नहीं हैं परन्तु शठम शाठयम वाला अवश्य हैं। यह धर्म सत्यम शिवम् सुंदरम हैं। यह धर्म विज्ञानवादी हैं। यह उपनिषद परम्परा का धर्म हैं। यह सर्वे भवन्तु सुखिन: का मंगलघोष करनेवाला धर्म हैं। यह धर्म योग, ध्यान की दिव्य अंतःकन्दराओं में विचरण करानेवाला धर्म हैं।

मोदी जी ने अपने स्वयंप्रस्तुत उदाहरण से ऐसे धर्म का महिमामंडन कई बार किया हैं। उनकी प्रचण्ड विजय हमें यह आत्मविश्वास दिलाती हैं की धर्माचरण के लिए अब अनुकूल समय हैं। वेदघोष करना, वृक्ष लगाना, प्याऊ लगाना, निराधारोंको आधार देना, गौशाला में गौमाता की सेवा करना, हवन करना, गुरुजनों से विमर्श करना, उनकी सेवा करना, मन्दिर बनवाना, मंदिरों की मरम्मत करना, दानधर्म करना, मंदिर- यात्रा जाना, ध्यान लगाना, योग- प्राणायाम इ. करने के लिए अब देश में शांत माहौल प्रदत्त हैं। अब योगनुकूल समय आया हैं, अब धर्मानुकूल समय आया हैं। अब सेवाधर्म का समय आया हैं।

राजनीतिक पैंतरेबाज़ी से बाहर आकर देश के लिए अपनी सेवा देने का समय आया हैं।

धर्मानुकूल राजसत्ता के स्थापित होने के यही मायने हैं।

हरि: ॐ

योगी अरविन्द
भवानी योगक्षेत्रम्