Tuesday, November 25, 2014

श्री वासुदेवानंद सरस्वती (टेम्बे स्वामी) द्वारा रचित अघोरकष्टोद्धरणस्तोत्र



आधुनिक काल (1854-1914) के महान योगी श्री वासुदेवानंद सरस्वती (टेम्बे स्वामी) द्वारा रचित अघोरकष्टोद्धरणस्तोत्र

अघोरकष्टोद्धरणस्तोत्रम:

श्रीपाद श्रीवल्लभ त्वं सदैव| श्री दत्तास्मान पाहि देवाधीदेव||
भावग्राह्य क्लेशहारिन सुकीर्ते| घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||

त्वं नो माता त्वं पिताप्तो दिपस्त्वं| त्रातायोगक्षेमकृसद्गुरुस्त्वम||
त्वं सर्वस्वं नो प्रभो विश्वमूर्ते| घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||

पापं तापं व्याधीमाधींच दैन्यम| भीतिं क्लेशं त्वं हरा$शुत्व दैन्यम||
त्रातारंनो वीक्ष इशास्त्र जूर्ते| घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||

नान्यस्त्राता नापि दाता न भर्ता| त्वत्तो देवं त्वं शरण्योकहर्ता|
कुर्वात्रेयानुग्रहं पुर्णराते| घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||

धर्मेप्रीतिं सन्मतिं देवभक्तिं| सत्संगाप्तिं देहि भुक्तिं च मुक्तिं
भावासक्तिंचाखिलानन्दमूर्ते| घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||

श्लोकपंचकमेतद्यो लोकमंगलवर्धनम|
प्रपठेन्नियतो भक्त्या स श्रीदत्तप्रियोभवेत||

||इति श्रीमत्वासुदेवानंदसरस्वतिविरचितं अघोरकष्टोद्धरणस्तोत्रम सम्पूर्णम||


श्री वासुदेवानंद सरस्वती (टेम्बे स्वामी)

 

Wednesday, November 19, 2014

रामपाल, सरकार, और मिडिया


हरियाणा में तथाकथित संत रामपाल की गिरफ़्तारी के लिए जो ड्रामा हो रहा हैं, एक देशवासी के नाते, अध्यात्मप्रधान जीवन जीनेवाले व्यक्ति के नाते मन को बहुत दुःख पहुंचता हैं.
 
                                   रामपाल, जो न्याय व्यवस्था से भाग रहा हैं, पुलिस से लड़ रहा हैं


रामपाल को एक खून के आरोप में न्यायलय में उपस्थित होना हैं और अपनी गिरफ़्तारी को टालने के लिए वो एक बड़ी टोली के सरगना के तरह पुलिस के साथ ही लड़ने की कोशिश कर रहा हैं. पेट्रोल बम, हथियार, हजारो समर्थक इनके सहारे रामपाल भारत की प्रस्थापित न्याय व्यवस्था को ही ललकार रहा हैं. उसकी इस कोशिश में अनेक बेगुनाह व्यक्तियोंकी मौत होना मन को अधिक दुखी करता हैं. इस पुरे प्रकरण ने भारत की न्याय व्यवस्था, सरकार चलने की पद्धति, धर्म व्यवस्था, मिडिया की भूमिका इनपर गहरे प्रश्न उपस्थित किये हैं. 

हम इस बात को भूल नहीं सकते की भारत में बाबा, संत, गुरु, स्वामी, योगी इन लोगोंका समाज के साथ बहुत गहरा रिश्ता हैं. ऐसे महानुभावोंके प्रति प्रायः आदर और सम्मान का माहौल देश में है. देश के ग्रामीण भागोंमे, दुर्गम क्षेत्रों में, इतना ही नहीं शहरों में भी समस्या को सुलझाने के लिए  लोग संतों के पास विश्वास के साथ जाते हैं. समर्पण, भक्ति, श्रद्धा, और विश्वास का यह माहौल अपने आप में इंसान को उच्च मनोवैज्ञानिक स्तर पर ले जाता हैं और आत्मविश्वास बढ़ाता हैं. इस प्रकार की व्यवस्था के फायदे मैंने मेरे बचपन से अनुभव किये हैं. मनोवैज्ञानिक दबाव को हल्का करनेवाली यह उत्कृष्ट व्यवस्था हैं.

विदेशोंमे मानसिक बिमरियोंका प्रमाण अधिक हैं. मैंने मेरी ब्राज़ील यात्रा के दरमयान अनुभव किया हैं की वहां का युवा वर्ग पूर्ण रूप से मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों पर निर्भर हैं. अधिकाधिक युवक हर सप्ताह साइकोलोजिस्ट को मिलने जाते हैं और केमिकल दवा का प्रयोग करते हैं. उनके लिए विश्वास और श्रद्धा की ऐसी कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं हैं. भारतीय योग परंपरा से प्रभावित कुछ स्थानीय बाबा मदद करने की कोशिश करते हैं परन्तु युवकोंका भारतीयोंपर अधिक विश्वास हैं. कुछ युवाओंको मैं इंटरनेट, स्काईप, फेसबुक के माध्यम से मार्गदर्शन करने की कोशिश करता हुँ.

शायद यह व्यवस्था सिर्फ़ भारत की विशेषता हैं जो हजारो वर्षोंसे चलती आ रही हैं. इस व्यवस्था के बल पर ही आज भी भारत में लाखों अनुयायियोंका समर्थन प्राप्त हुए अनेक बाबा और संत हैं. 

                योग और आयुर्वेद के माध्यम से करोडो लोगोंको स्वस्थ्य प्रदान करनेवाले योगऋषि बाबा रामदेव


इस विश्वास और श्रद्धा की परंपरा संत जीवन व्यतीत करनेवाले व्यक्ति को अधिक ज़िम्मेदारी से पेश आने के लिए बाध्य करती हैं. यदि ऐसे बाबा या संत अपने कर्तव्य भूलकर अहंकार के भाव में चले जाते हैं तो पूरी सुन्दर व्यवस्था की नींव खोखली हो जायेगी। दूसरी और संत जीवन जीनेवाले व्यक्ति अपने साथियोंके साथ ही स्पर्धा में चले जाते हैं. और फिर संसाधन जुटाने के पीछे लगते हैं. और आजकल राजनीती की चपेट में आनेवाले बाबाओंकी संख्या बढ़ रही हैं. ऐसे अहंकार, अज्ञान, स्पर्धा और राजनीतिक महत्वाकांक्षा के शिकार बाबाओंका प्रतिक हैं रामपाल।

रामपाल जैसे एक अहंकारी अभियुक्त को कानून के शिकंजे दायरे में लाने के लिए जो देरी हुयी हैं उसके लिए पिछले दशक से हरयाणा की शासन व्यवस्था को ही दोषी ठहराया जा सकता हैं. आज की शासन व्यवस्था को रामपाल को न्यायलय के सामने उपस्थित करवाने के सिवा अन्य कोई पर्याय उपलब्ध नहीं हैं. ऐसी अवस्था में रामपाल के बाहर एकदम युद्ध सदृश परिस्थिति उत्पन्न हुई हैं. न्याय व्यवस्था को ललकारने वाला गुंडा रामपाल और न्यायव्यवस्था को प्रस्थापित करने के लिए प्रयास करने वाली पुलिस ऐसा युद्ध का स्वरुप हैं.

इस युद्ध में मिडिया की भूमिका और मिडिया पर हुए हमले ने एक नया स्वरुप प्रदान किया हैं. इस पुरे प्रकारण ने मुझे २६/११ वाले मुंबई के आतंकवादी हमले की याद दिलायी। इस हमले में आतंकवादियोंको सहाय्यक साबित होनेवाली मिडिया की भूमिका पर गंभीर प्रश्न उपस्थित हुए थे. रामपाल मामले भी मिडिया रामपाल के आश्रम में उपस्थित गुंडोंको मददगार हो सके ऐसी योजना में तो नहीं थे? ऐसे गंभीर परिस्थिति में मिडिया वाले अधिक जिम्मेदारी से पेश आते हैं तो देश के लिए भला होगा। मेरा मानना यह हैं की यदि प्रशासन द्वारा गलती हुयी हैं तो अधिकारियोंके ऊपर सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए।
 
ऐसे प्रकरणोंमे मिडिया बहाना बनाकर पुरे संत समाज को बदनाम करने की जो कोशिश करता हैं वह अत्यंत निंदनीय हैं. आज भारत की यदि कोई विशेष या अतिविशेष पहचान हैं तो वोह हैं संत परंपरा या योगी परंपरा। इस परंपरा के प्रति विश्व अधिकाधिक आकर्षित हो रहा हैं. इस परंपरा में ही विश्वशांति के बीज हैं. साईबाबा, सत्य साईं, माँ आनन्दमयी, कांची के परमाचार्य, रमण महर्षि, स्वामी विवेकानंद, परमहंस योगानंद और ऐसे अनेक संतोने पिछले दशकोंमे विश्व को शांति और ज्ञान का मार्ग दिखाया हैं. 

 

                                                                         श्री श्री रविशंकर

बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर, माता अमृतानंदमयी और अनेक संत आज भी भारत की संत परंपरा का परचम विश्व में लहरा रहे हैं. योग आज विश्व धर्म के रूप में प्रस्तुत हुआ हैं. ऐसे समय योग भूमिका में रहकर जीवन जीनेवाले संत, बाबा, योगियोंको कलानुरूप ख़ुदको बदलने की ज़रूरत हैं और धर्मध्वजाको अधिक गर्व से फहराना चाहिए। ऐसे परिस्थिति में संतोंको मेरा सुझाव हैं की सक्रीय राजनीती से दूर रहें।

अर्थात भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी राजनीती में संत जीवन व्यतित करनेवाले श्रेष्ठ आत्मा हैं
 
योगी अरविन्द
(ऋषिकेश)

Monday, November 17, 2014

Hall of Gratitude


Hall of Gratitude...

Tomorrow on 19 November 2014, is the 5th anniversary of my spiritual calling.
on this occasion, I would like to express my gratitude to all those souls who have crossed path and have influenced greatly to shape who I am today.
I call this as 'The Hall of Gratitude'

Lalita Devi (My Mother), 
Keshavrao (My Father), 
Ashutosh (My brother) 
Usha & Uma (My sisters)

Ayesha Thapar, 
Aditya Khanna,
Samir Thapar, 
Anil Diggikar, 
Mandar Patil,
Prajakta Fadanvis
Ashutosh Baranwal, 
Karun ji Shrivastav,
Abhinav Kumar,
Sharad Datt,
Apurve Mehra,
Dev Gupta,
Akhil Lakhanpal,
Gita Soto,
Graciela Pischner
Teena Singh
Naghma,
Rajeev Shrivastava,
Dada Maharaj Khadkikar, 
Digambar Shankar Giri ji maharaj,
Swami Shyam ji
Devendra Vigyani ji
Lola Montes Schnabel,
Amar Bharti ji Maharaj
Dayanand Puri
Rajrajeshwar Giri
Baba Rampuri
Santoshanand Giri ji
Prahlad Singh ji Tipanya
Deepak Bidkar,
Dibang,
Pramod Kulkarni,
Rajendra Hiremath,
Vinay Sahasrabuddhe,
H Dattatreya ji
Jayant Kulkarni
Chandrakant dada Patil
Shyam Jaju 
Vinod Tawde,
Rajesh Pande,
Prakash Pohare
Prasenjeet Fadanvis
Dileep Kamble,
Sunil Kamble,
Ramesh Kale,
Chidambar Dikshit,
Saum Shrivastav
Silvia Ferrari
Luis Ferrari,
Guta Gali,
Pollyana Degan,
Soniyya Punjabi
Shivani Yogini
Suparna Mandke
Sameer Athalye
Nana Mhaske
Abhijeet Gaikwad
Atul Salve,
Sagar Newase,
Shashank Deshpande,
Satish Kulkarni,
Parag Vedak,
Dr Kantu Diggikar
Madan Kulkarni,
Ravi Pawar,
Dr Sachin Mule
Anil Deshpande,
Gorakh Deshmane,
Shreerang Kulkarni
Ajit Joshi
Vijay Agrawal
Asheem Agrawal
Dr Prashant Patil
Dr Ashutosh Yardi
Ashok Doshing
Milind Bhanage
Ajay Shukla
Jawahar Lal  Kaul
Aruna Narayan
Gayatri Shakti Chaliha
Rajesh Prabhu
Atul Vaze
Sajjan Jain
Asha Jain
Rajeev Tiwari
Rajendra Bhandari
Kailash Kher
Sheetal Kher
Nutan Kher
Kabir Kher
Sharon
Julia Gorksaya
Julia Disini
Ajithkumar Gopalan
Sunil Umrao
Nina Angelica Stone
Evelyn Lewis
Ramesh Mhalge 
Vinay Date
Nisha Kulkarni
Nishant Verma
Narasimha Murthy
Jayalakshmi Murthy
Andre Blas
Joan Marie Hyman
Vikas Panwar
Gusain ji
Yogi Avatar Nath ji
 


Such shining galaxy of friends & well wishers!
I express my deepest gratitude for enriching my life with every experience that you could contribute.
I thank my all friends whose name doesn't appear above.
Maitra Yoga is all about friends.
And this is the treasure I possess.

lots of love.
Shubham Bhavatu.

Yogi Arwind
(Rishikesh)

(I just closed eyes and the names appeared. The sequence is random.)